Mutual Fund Kya Hai in Hindi, Paise Kaise Lagaen, Type of Mutual Fund in Hindi, Investment, म्यूचुअल फंड क्या है, म्यूचुअल फंड की जानकारी
अगर आप जानना चाहते हैं कि Mutual Fund Kya Hai, तो इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से आपको अंत तक इसके बारे में छोटी से छोटी जानकारी प्राप्त हो जाएगी, क्योंकि जब से लोगों को Long-term investment की अहमियत समझ आई है, तब से म्यूचुअल फंड का नाम सबसे पहले हमारी जुबान पर आता है. इस आर्टिकल के अंदर हम म्यूचुअल फंड क्या होता है, यह तो जानेंगे ही. बल्कि साथ-साथ यह भी जानेंगे कि कितने प्रकार के होते हैं, कितने अलग-अलग रिस्क और रिटर्न्स इनके अंदर देखने को मिलते हैं, क्या लंबे समय में अमीर बनने के लिए Mutual Fund Sahi Hai या नहीं? हर एक सवाल का जवाब आपको मिल जायेगा.
Mutual Fund Kya Hai?
देखिए दोस्तों Mutual Fund असल में आज की तारीख में आपके पैसे को दो गुना, तीन गुना आदि करने का एक सबसे बड़ा जरिया बन चुका है. आसान भाषा में समझे तो आपने अपने पैसे को म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट कर दिया, अब जितने भी इन्वेस्टर इसके अंदर काम कर रहे हैं वह आपके उस पैसे को कुछ अलग-अलग स्टॉक्स, एसेट्स आदि खरीदने में इन्वेस्ट कर देंगे, जिन्हें म्यूचुअल फंड की भाषा में सिक्योरिटीज (Securities) कहते हैं. तो जैसे-जैसे समय के साथ उन चीजों की वैल्यू बढ़ेगी, वैसे-वैसे आपके पैसे की वैल्यू भी उतना गुना होती चली जाएगी, और एक निश्चित समय के बाद आपको वह पैसा उतना गुना होकर मिलेगा.
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Mutual Funds के प्रकार
Equity Funds
यह वो फंड होते हैं जो बड़ी-बड़ी कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश किए जाते हैं, जिसकी वजह से इसकी वैल्यू पूरी तरह से निर्भर करती है मार्किट कैपिटलाइजेशन (Market Capitalization) के ऊपर. यानी कि जैसे-जैसे उस कंपनी के स्टॉक की वैल्यू बढ़ती चली जाएगी, वैसे-वैसे आपके पैसे की वैल्यू भी बढ़ती चली जाएगी. इसके अंदर आते हैं.
- Large Cap Funds
- Mid Cap Funds
- Small Cap Funds
- Multi Cap Funds
- Sectoral/Thematic Funds
- Dividend Yield Funds
Debt Funds
यह काम रिस्क के साथ काम समय के लिए निवेश किये जाते हैं. इसके प्रकार हैं-
- Liquid Funds
- Ultra Short Duration Funds
- Short Duration Funds
- Medium Duration Funds
- Long Duration Funds
- Dynamic Bond Funds
- Credit Risk Funds
Hybrid Funds / Balanced Funds
अब जैसा कि इसके नाम से ही समझ आ रहा है कि यह रिस्क और रिटर्न को बिल्कुल बैलेंस करके रखते हैं, लेकिन वो कैसे? वो ऐसे, क्योंकि ये वह फंड होते हैं जो कंपनियों के स्टॉक में तो इंवेस्ट किये ही जाते हैं बल्कि इसके साथ-साथ गवर्नमेंट या कॉर्पोरेट बॉन्डस में भी निवेश किए जाते हैं. जिसकी वजह से यह काफी अच्छा रिटर्न देने में सहायता करते हैं. इसके अंदर आएंगे-
- Aggressive Hybrid Funds
- Conservative Hybrid Funds
- Multi-Asset Allocation Funds
Bond Funds
यह वो फंड होते हैं जो सरकारी या कॉर्पोरेट बॉन्ड्स (Government/Corporate Bonds) के अंदर निवेश किए जाते हैं. और इन्हें ही आप Short-term, Intermediate-term, Long-term Investment के नाम से जानते हैं. यानी कि यह पूरी तरह से समय पर निर्भर करते हैं.
Equity Linked Savings Schemes (ELSS) Funds
यह भी एक तरह की Equity Funds होते हैं लेकिन इनके अंदर आपको Income Tax Act के Section 80C के तहत टैक्स के मामले में फायदा मिलता है. यह फंड Equities में ही इन्वेस्ट किए जाते हैं, लेकिन 3 साल से पहले आप इन्हें नहीं निकाल सकते.
Index Funds & ETFs (Exchange-Traded Funds)
इंडेक्स फंड Nifty 50 or Sensex को ट्रैक करते हैं और ईटीएफ्स Stock Exchanges के साथ व्यापर करते हैं.
Money Market Funds
यह सारे फंड शॉर्ट टर्म के लिए High Quality Investment में निवेश किए जाते हैं जैसे कि Commercial Papers हो गए, Treasury Bills हो गए. इसलिए यह फंड स्थिरता (Stability) और तरलता (Liquidity) के लिए जाने जाते हैं.
Growth Funds
ये उन कंपनियों में इंवेस्ट किये जाते हैं जिनकी ग्रोथ अच्छे लेवल पर होती है, ताकि इनकी वैल्यू भी बढ़ सके.
Income Funds
इन फंड का मकसद होता है Regular Income प्रदान करना, इसलिए यह फंड ऐसे सिक्योरिटीज़ में इन्वेस्ट करते हैं जो ब्याज या डिविडेंड का भुगतान करते हैं.
Fund of Funds (FoFs)
- Domestic FoFs
- International FoFs
Real Estate Mutual Funds
रियल स्टेट सेक्टर में निवेश किये जाते हैं.
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Mutual Fund Risk and Returns
जब भी किसी म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट करने की बात आती है तो उसके रिस्क को रिटर्न को समझना बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है. तो अब हम जानेंगे कि कितने प्रकार के रिस्क और रिटर्न एक इन्वेस्टमेंट में देखने को मिलते हैं.
रिस्क के प्रकार
Market Risk
यह निर्भर करता है मार्केट की फाइनेंसियल स्थिति पर. अगर मार्केट नीचे जाएगी तो म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट की वैल्यू भी गिरेगी.
Credit Risk
यह रिस्क अक्सर देखने को मिलते हैं बॉन्ड फंड्स में. अगर Bond Issuer पेमेंट के मामले में कोई आना-गनी करता है, तो उसका असर सीधा इन्वेस्टमेंट पर दिख सकता है.
Interest Rate Risk
अगर ब्याज की दर बदलती है तो यह उन बॉन्ड्स की वैल्यू पर असर करता है. अगर ब्याज की दर बढ़ती है तो बॉन्ड की कीमत गिर जाती है.
Liquidity Risk
कभी-कभी ऐसे रिस्क भी देखने को मिलते हैं कि अगर जरूरत के वक्त आप अपनी इन्वेस्टमेंट बेचना चाहे तो वह उस वक्त तरलता की वजह से नहीं बिच पाती.
Managerial Risk
यह रिस्क निर्भर करता है फंड मैनेजर के डिसीजन पर. अगर उसके द्वारा कोई गलत इन्वेस्टमेंट हो जाती है, तो भविष्य में उसकी वैल्यू गिर भी सकती है.
रिटर्न्स के प्रकार
Capital Gain
जो भी सिक्योरिटीज आपकी इन्वेस्टमेंट की मदद से खरीदी गयी थी, रिटर्न के समय पर वह सारी सिक्योरिटीज बेच दी जाती हैं और उससे जो भी लाभ बनता है, वो आपको दे दिया जाता है.
Dividends
जो कंपनियां अपने Shareholders को उनके शेयर्स पर होने वाले लाभ के आधार पर देती हैं, उन्हें डिविडेंड्स कहा जाता हैं. यह आमतौर पर इक्विटी निवेश से जुड़ा होता है.
Interest Income
जो आय किसी निवेशक को उसके द्वारा दिये गए उधार पर ब्याज के रूप में मिलती है, उसे हम ब्याज आय कहते हैं. यह Fixed Income Investment के साथ जुड़ी होती है.
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निष्कर्ष
तो दोस्तों इस आर्टिकल में हमने जाना कि Mutual Fund Kya Hai और इससे जुड़े कई सरे सवालों के जवाब हमने आप तक पहुँचाने की पूरी कोशिश की है. देखिये किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले एक बार अपने Financial goals और Risk tolerance को अच्छे से समझ लेना चाहिए, ताकि भविष्य में चलकर किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े.
अगर इससे संबंधित कोई भी सवाल या बात आपके मन में रह गई होतो नीचे कमेंट करके आप हमसे पूछ सकते हैं.
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